वह ना आया जिसका मुझे इंतजार था।

कोई  किसी  का  नहीं  इस  अनजान  शहर मे,   सब  मतलब  निकलने  मे लगे  है,   किसी ना  किसी  बहाने  से ! 

रोज  चलते  है  लोग  अपने  कामो  के  लिए,  तो  रास्ते  मे  मिलते  है  बहुत से  लोग ,  सब  देखते  है  अजीब  नजरों  से !


कोई  बैठता  है  अकेला  इंतजार   के  लिए,  तो वो  आते  ही  नहीं  टाइम  से  उनकी   आदत है   देर  से !


कोई  दिखा  अकेला  उनसे  पूछने  आजाते  है ,  लोग  कि  रास्ता  कहा  जा  रहा  है,    वह  सामने से  कह  देते  है,   ये रास्ता  जा  रहा  है  उस  तरफ  से !

आज  मिला  इस  रास्ते  मे  अपना  और  उस  से  मुलाक़ात  हुई हँसते  मुस्कुराते  हुए,   वो  भी  ख़ुश  हुई  और  मे  भी  फिर  वो  चल  पड़ी  अपने  रास्ते  से !


मे  वही रह  गई  इंतजार   के  लिए , वो  ना  आया   जिसका  मुझे  इंतज़ार  था  चंद  पलो  से   !

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